दुबलापन भगाइए सौन्दर्य बचाइए राजीव दिक्षित जी

दुबलापन भगाइए सौन्दर्य बचाइए


मोटापे की तरह दुबलापन भी एक समस्या हैं। हालाँकि दुबलेपन की समस्या उतनी बड़ी नहीं हैं जितनी कि मोटापे की। मोटे लोगों की तुलना में दुबले लोग प्रायः कम ही बीमार पड़ते हैं और उनके ज्यादा दिनों तक जिन्दा रहने की भी संभावना रहती हैं। फिर भी, अगर देह हड्डियों का कंकाल सा नजर आए तो समझिए कि कुछ मांसलता लाने की जरूरत हैं। ठीक अनुपात में मांसल शरीर स्वास्थ्य व सौन्दर्य की दृष्टि से उचित आहार विहार में उचित सुधार करके देह का दुबलापन दूर किया जा सकता हैं।
कुछ लोग वंशगत प्रभाव से दुबले-पतले होते हैं। उनके शरीर की आंतरिक संरचना कुछ ऐसी होती हैं कि वे कितना भी पौष्टिक खाए-पिएं पर शरीर में चर्बी इकट्ठा ही नहीं हो पाती और चाहकर भी वे मांसल नहीं दिखते । ऐसे लोगों का दुबलापन दूर होना थोड़ा मुश्किल तो है पर अंसभव नहीं हैं। दुबलापन दूर करने का कार्यक्रम इसका अर्थ यह हैं कि यदि उक्त कारण जिम्मेदार हों तो दुबलापन दूर करने की कोशिश करने के साथ-साथ इन गड़बड़ियों को भी दूर करना चाहिए और ईर्ष्या, द्वेष, चिंता, शोक, क्रोध से मुक्त होकर प्रसन्नचित्त, उमंग भरा जीवन बिताते हए निम्न उपाय करने चाहिएदुबलापन दूर करने की पहली शर्त यह हैं कि आप अपनी पाचनशक्ति मजबूत करें ताकि खाया-पिया शरीर में अच्छी तरह जज्ब हो खुलकर भूख लगें। इसके लिए हफ्ते भर विधिपूर्वक उपवास कर सकते हैं। तरीका यह हैं कि जब उपवास करना हो तो एक दिन पहले मूंग की खिचड़ी आदि हल्का भोजन लें। रात में दूध या पानी के साथ 2 चम्मच ईसबगोल, एरण्ड तेल अथवा त्रिफला सेवन करके उदर की सफाई करें। दूसरे दिन रोटी बंद कर दें और मौसमी फलों व उबली हरी सागसब्जियों पर निर्वाह करें। तीसरे दिन 2-3 घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा करके सिर्फ फलों का रस पिएं। चौथे दिन सिर्फ पानी पीकर रहें। साथ में नींबू और शहद ले सकते हैं। पाँचवे दिन पुनः फलों का रस लें। छठे दिन फल व उबली साग-सब्जी पर रहें। सातवें दिन एक-दो चपाती से शुरू करके धीरे-धीरे खुराक बढ़ाएं। इस उपवास काल में दो-तीन दिन एनिमा द्वारा पेट की सफाई कर लें तो बेहतर परिणाम मिलेगा। से पहले यह देख लेना चाहिए कि कहीं किसी रोग की वजह से तो ऐसा नहीं हैं। यदि कोई रोग हो तो पहले उसे ठीक करने का उपाय करें। ज्यादा संभव हैं कि आरोग्य होते ही दुबलापन भी खुद-ब-खुद दूर हो जाएगा। बिना किसी खास बीमारी के होते हुए भी दुबलापन हैं तो इसके पीछे कम भोजन करना या

भूखे रहना, पौष्टिकता रहित भोजन करना, रात में देर तक जागना, कम विश्राम करना या क्षमता से ज्यादा श्रम करना, ज्यादा उपवास करना, तनाव-चिंता-शोक में जीवन बिताना, पाचनशक्ति कमजोर होना आदि कारण हो सकते हैं।

  • इसका अर्थ यह हैं कि यदि उक्त कारण जिम्मेदार हों तो दुबलापन दूर करने की कोशिश करने के साथ-साथ इन गड़बड़ियों को भी दूर करना चाहिए और ईर्ष्या, द्वेष, चिंता, शोक, क्रोध से मुक्त होकर प्रसन्नचित्त, उमंग भरा जीवन बिताते हए निम्न उपाय करने चाहिएदुबलापन दूर करने की पहली शर्त यह हैं कि आप अपनी पाचनशक्ति मजबूत करें ताकि खाया-पिया शरीर में अच्छी तरह जज्ब हो खुलकर भूख लगें। इसके लिए हफ्ते भर विधिपूर्वक उपवास कर सकते हैं।
  •  तरीका यह हैं कि जब उपवास करना हो तो एक दिन पहले मूंग की खिचड़ी आदि हल्का भोजन लें। रात में दूध या पानी के साथ 2 चम्मच ईसबगोल, एरण्ड तेल अथवा त्रिफला सेवन करके उदर की सफाई करें।
  •  दूसरे दिन रोटी बंद कर दें और मौसमी फलों व उबली हरी सागसब्जियों पर निर्वाह करें। तीसरे दिन 2-3 घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा करके सिर्फ फलों का रस पिएं।
  •  चौथे दिन सिर्फ पानी पीकर रहें। साथ में नींबू और शहद ले सकते हैं। पाँचवे दिन पुनः फलों का रस लें। छठे दिन फल व उबली साग-सब्जी पर रहें।
  •  सातवें दिन एक-दो चपाती से शुरू करके धीरे-धीरे खुराक बढ़ाएं। इस उपवास काल में दो-तीन दिन एनिमा द्वारा पेट की सफाई कर लें तो बेहतर परिणाम मिलेगा।

उपवास करने के बाद प्रायः भूख खुब लगने लगती हैं और खुराक बढ़ जाती हैं। इस तरह से बढ़ी हुई खुराक दुबलापन
दूर करने में अत्यंत सहायक हैं।
  •  दुबले लोग सबेरे पौष्टिक नाश्ता लें, पर इसका समय भोजन से 3-4 घण्टा पहले और सोकर उठने के 2-3 घण्टे बाद रखें। एक पौष्टिक नाश्ता यह हैं कि थोड़े चनों में गेहूँ, मूंगफली, मूंग मिलाकर अंकुरित कर लें। इ
  • स अंकुरित अन्न में नींबू और थोड़ा नमक डालकर नाश्ते के रूप में सेवन कर सकते हैं। नमक, नींबू न मिलाना चाहें तो इसे गुड़ के साथ या इसमें
  • थोड़ी भिगोई किशमिश व खजूर मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। ऊपर से चाहें तो थोड़ा दूध पिएं। नमक, नींबू मिलाएं तो दूध न पिएं।

  • इसके अलावा आगे वर्णित खजूर और दूध वाला नाश्ता भी कर सकते हैं या अनुकूल पड़े तो केला-दूध लें। जाड़े के दिनों में उड़द का आटा, बबूल का गोंद, देशी घी, अश्वगंध तथा मेवे मिलाकर बनाया गया लड्डू भी पाचनशक्ति के अनुसार सेवन कर सकते हैं। पौष्टिक नाश्ते
और भी कई हैं, उन्हें सोच-समझकर सेवन करके लाभ उठाया जा सकता है। 
  • दोपहर और शाम के भोजन में पर्याप्त पौष्टिक पदार्थों का सेवन खूब चबा-चबाकर करें। उपलब्धता के हिसाब से गाजर, पालक, चौलाई, टिण्डा, परवल व विभिन्न हरी सब्जियाँ, मौसमी फल, घी का तड़का लगी दाल, आँवले का मुरब्बा, दूध, घी, मक्खन, चावल की खीर आदि सेवन करें। 
  • रोटियाँ गेहूँ की खाएं। चाहें तो गेहूँ में तिहाई भाग चने मिलाकर पिसवा लें और इस आटे की रोटी खाएं। भोजन के बाद एक-दो केले
  • और आगरे का पेठा या आँवले का मुरब्बा लें तो अच्छा हैं। रात के भोजन में एकाध रोटी कम खाएं। 
  • भोजन के बाद आगे वर्णित अश्वगंधारिष्ट वाला नुस्खा भी सेवन कर सकत हैं। > दोनों भोजन के बीच 8 घण्टे का अंतर रखते हुए मध्यकाल में किसी मौसमी फल या जूस का हल्का पाचक पौष्टिक अल्पाहार
ले सकते हैं। > पानी भोजन के डेढ़-दो घण्टे बाद पीने की आदत बनाएं। इसके
अलावा दिन भर में डेढ़-दो घण्टे अंतराल पर 6-8 गिलास तक
  • खूब पानी पीते रहें। »
  •  रात में भोजन से दो-तीन घण्टे बाद और सोने से पूर्व गुनगुने दूध
में एक चम्मच घी के साथ मिश्री या दो-तीन चम्मच शहद
मिलाकर पिएं। » इतना उपाय करते हुए सबेरे अपने अनुकूल व्यायाम, योगासन,
प्राणायाम अवश्य करें। इस संबंध में किसी पुस्तक या योग्य व्यक्ति से जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

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