सुपरटेक का ट्विन टावर गिराने से देश को क्या हासिल हुआ ||Twin Tower Noida Fact

 कुछ बेचैन आत्माएं तृप्त हुई होंगी,किसी का राजनैतिक स्वार्थ सिद्ध सिद्ध हुआ होगा,और सुप्रीम कोर्ट के माननीयों का राजसी अहं बरकरार रहा।300 करोड़ की लागत से बने इस इमारत को गिराने का खर्च 17.55 करोड़ आया।ये पैसे किसके थे?कोर्ट दोषियों को कठोर आर्थिक दंड और अन्य सजाएं दे सकती थी,Twin टावर में को सरकार अपने कब्जे में लेकर Government Establishment के लिए Public Utility Centre में convert कर सकती थी।लेकिन 317.55 करोड़ रुपये को मिट्टी में मिला देने से किसको क्या मिला?मैं इस मामले में किसी आदर्शवादी तर्क को बौद्धिक चूतियापा ही समझता हूँ,क्योंकि अर्थशास्त्र मेरा विषय है।


कुछ भी नही सिवाय ईगो के। 300 से 500 करोड़ की लागत से बने यह टावर को गिरा कर क्या हासिल हुआ सिवाय मिट्टी के ढेर के। कंपनी ने कहा उनको जा उनके प्रोजेक्ट्स पर कोई फर्क नही पड़ेगा।


यह सिर्फ सुप्रिम कोर्ट की जिद्द थी कि यह टावर गिरा दिये जायें। कोई भी दलील नही मानी। अच्छा होता, कितने सरकारी कार्यालय जा कोई सरकारी हॉस्पिटल को दे देते। क्या इससे भृष्टाचार को लगाम लगेगी, कभी नही। यहाँ तो हर ईट पर भृष्टरचार की छाप है। किस किस को गिराओगे। जब तक हमारे राजनेता ईमानदार नही होंगे, कुछ भी नही होने वाला।


हमारे देश को " बारुद बाबा " हासिल हुआ , पहले थे बुलडोजर बाबा , ट्विन टावर गिराने के चलते योगी आदित्यनाथ जी को लोग अब " बारुद बाबा " के नाम से जानेंगे , क्यों कि ट्विन टावर को ध्वस्त करने में बहुत बारुद का इस्तेमाल हुआ है , लेकिन सवाल ये उठता है कि अवैध ट्विन टावर तो सुप्रीम कोर्ट कि आदेश से गिरवाया गया , येंहा बाबाजी का कौन सा कमाल है ? बात ये है कि ये ट्विन टावर का शुरुआती खेल २००४ में शुरू हुआ था और बहुत ही गैर कानूनी तरीके से इसका मंजिल कि संख्या बढ़ाते जाया जा रहा था । मुलायम सरकार , मायावती सरकार , अखिलेश सरकार किसीने भी इस अवैध निर्माण को रोकने का कोशिश नहीं किया , लेकिन योगीजी , यानी " बारुद बाबा " इस अवैध निर्माण का फाइल पुरा खोल डाले और अंत तक एक भ्रष्टाचार का गला दबाया गया । मामला और भी है , ये दोनों टावर बनाने वाले शख्स भी एक बहुत बड़ा खिलाड़ी है

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