मनुष्य की सोच ,इच्छा का खेल आपको चौका देंगा
अगर वह आप मानव विकास के विशेषज्ञ चार्ल्स डार्विन या लैमार्क को पड़ेंगे या एंथ्रोपोलॉजी की तमाम किताबें पढ़ेंगे जिसमे आपको यह समझाया गया है कि ना सिर्फ मनुष्य बल्कि किसी भी जानवर की जीवन की उसके आसपास के माहौल के अनुसार से उसकी जरूरतें बदलती रहती है
जैसे यदि कोई मनुष्य जेल में बंद है तब वह यही सोचेगा काश उसे आजादी मिले काश उसे मोबाइल फोन मिले काश वह घर जाए
उसके लिए रोजगार मुफ्त बिजली मुफ्त पानी जैसा कोई मुद्दा नहीं होगा
ऐसे ही यदि कोई अच्छी नौकरी धंधे में सेट है फिर उसके जीवन की प्राथमिकताएं बदल जाएंगे और बड़ा घर और बड़ी गाड़ी इत्यादि के बारे में सोचेगा
एक लेखक की मैंने किताब पढ़ी थी मुझे उस किताब का नाम नहीं याद आ रहा है उसमें उन्होंने ईदी अमीन और कोरिया के तानाशाह जो तीन पीढ़ी से हैं और ऐसे कई तानाशाहों के बारे में रिसर्च करके लिखा था जब आप अपने राज्य के लोगों को भोजन पानी या दूसरी सुख सुविधाओं के लिए तरसा देंगे और फिर जब आप उसे रोटी देंगे तब वह आपको भगवान समझेगा और यही कारण है कि यह तानाशाह इतने लंबे समय तक अपने देश पर राज करने में सफल हो जाते हैं क्योंकि जब व्यक्ति भूखा रहेगा फिर उसके लिए सबसे बड़ी जरूरत रोटी होगी और उस वक्त जो उसे रोटी देगा वह उसे ही अपना मसीहा समझेगा
वह यह भूल जाएगा कि जो तुम्हें रोटी दे रहा है वही व्यक्ति तुम्हारे इस हाल का जिम्मेदार है
आज कल में कई टीवी चैनलों पर और फेसबुक वीडियो में देख रहा हूं कि गुजरात के युवा रोजगार नौकरी पेपर लीक मुफ्त बिजली मुफ्त ट्यूबेल ब्ला ब्ला ब्ला की बातें कर रहे हैं मुझे खुशी इस बात की है कि पिछले 27 सालों के दौरान बीजेपी ने गुजरात में इतना प्रगति कर दिया है कि अब कम से कम गुजरात में अब्दुल लतीफ कर्फ्यू दंगे हिंदू घरों से हिंदू बेटियों को उठा ले जाना हिंदुओं के घरों पर जबरन कब्जा कर लेना जब चाहे तब पूरे शहर को जला देना जैसी बातें नहीं हो रही ....कम से कम इन सब बातों से ऊपर उठकर अब रोजगार इत्यादि की बात हो रही है
मैं गुजरात के युवाओं से यही रिक्वेस्ट करूंगा कि आप लोग एक बार अपने पिताजी या अपने दादा जी से पूछिएगा की 1992 के पहले गुजरात में क्या हाल हुआ करता था अहमदाबाद के क्या सूरत के बाहर का व्यक्ति अगर किसी काम से उसे अहमदाबाद सूरत आना होता था तब वह अपने किसी रिश्तेदार को फोन करके पूछता था कि क्या अहमदाबाद चालू है ? मतलब क्या अमदाबाद में कर्फ्यू तो नहीं लगा है
दरअसल कांग्रेस एक बड़े शानदार पैटर्न पर काम करती है लोगों को भूखा रखो गरीब रखो दंगे करो और इतिहास के जितने भी बड़े दंगे हुए हैं सिर्फ गुजरात 2002 को छोड़कर वह सभी कांग्रेसी राज के दौरान हुए हैं उसके बाद गरीबी हटाओ का नारा दो या फिर गड्ढे खोदने जैसी मनरेगा स्कीम दो फिर व्यक्ति सोचेगा अरे वाह कांग्रेस कितनी अच्छी है हमें गड्ढे खोदने का काम दे रही है या हारा हमारी गरीबी हटाने का बात कर रही है
वह व्यक्ति नहीं सोचेगा कि तुम्हारी गरीबी का जिम्मेदार यही कांग्रेस है
कांग्रेश राज के दौरान गुजरात की हालत ऐसी थी सौराष्ट्र से सरकारी बसें यानी एसटी अहमदाबाद के एसटी डिपो में आती थी वह सरखेज से जुहापुरा होते हुए पालड़ी होते हुए जाती थी तब सरेआम जुहापुरा में बस को रोका जाता था सभी यात्रियों से कीमती सामान घड़ी इत्यादि ले लिए जाते थे और यदि कोई ड्राइवर व कंडक्टर विरोध करता था तो बसों को जला दिया जाता था
इतिहास में पहली बार हुआ था कांग्रेस सरकार ने इन पर कोई कार्रवाई करने के बजाए बस के रूट को ही बदल दिया
किसी भी बिजली विभाग के अधिकारी की हिम्मत नहीं होती थी कि वह जमालपुर जुहापुरा जैसे मुस्लिम इलाकों में जाकर मीटर चेक करें
आप लोग गूगल पर एक बार राधिका जिमखाना केस सर्च कर लीजिएगा और अब्दुल लतीफ सरेआम गुनाह करता था और उसके बाद मुख्यमंत्री के निवास पर जाकर चाय पीता था
अब्दुल लतीफ और उसके गुर्गों को यदि कोई हिंदू लड़की पसंद आ जाती थी तो अगले दिन में हिंदू लड़की उठा ली जाती थी उन्होंने पूरे अहमदाबाद पुराने अहमदाबाद के इलाके जिसे कोट विस्तार कहते हैं वहां से हिंदुओं का सफाया कर दिया कांग्रेस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की
फिर जब बीजेपी सत्ता में आई और अशांत धारा एक्ट बनाया और कड़ी कार्रवाई की फिर जाकर माहौल सही हुआ और जब बीजेपी के नेताओं ने सरेआम मंच से कहा था कि यदि बीजेपी सत्ता में आएगी तब लतीफ का एनकाउंटर कर देंगे पूरे अहमदाबाद में सारी मीडिया जैसे सन्न रह गई की लतीफ एनकाउंटर करने की बात आखिर कोई कैसे कर दिया
और बीजेपी ने अपना वादा निभाया लतीफ को सरेआम पुराने हाई कोर्ट के सामने गोली मार दी गई उसके गुर्गों को पकड़ पकड़ कर या तो मारा गया या जेल में डाला गया
उस वक्त गुजरात के लोग यही सोचते थे कि नौकरी बिजली पानी यह सेकेंडरी चीजें हैं हमारी प्राथमिकता अमन चैन शांति हमारा घर और हमारी बेटियों की सुरक्षा है
इसीलिए मैं गुजरात के युवाओं से कहूंगा कि आप कहीं वह गलती मत कर दीजिएगा जब कुछ लालच के चक्कर में यह दिल्ली के दरिंदे या यह कांग्रेसी दरिंदे फिर से सत्ता में आ जाए
अरविंद केजरीवाल के पार्टी के 8 बड़े नेता हिंदुओं के कत्लेआम के मामले में जेल में है चाहे वह ताहिर हुसैन हो चाहे वह दंगे भड़का कर चुनाव जीतने की प्लानिंग करने वाली निशा हो
क्योंकि जब यह फिर सत्ता में आएंगे तब हमारी प्राथमिकताएं बदल देंगे तब हमारे लिए बिजली पानी नौकरी मुद्दा नहीं रहेगा हमारे लिए यह मुद्दा रहेगा कि किसी लतीफ या किसी अब्दुल या किसी गफ्फार से हमें बचाओ
और जिन्हें नहीं समझ आ रही वो झारखंड की परिस्थिति देख ले ,कैसे यहां खुले आम दंगाइयों को विशेष विमान से इलाज के लिए भेजा जाता है और एक गरीब असहाय लड़की को कोई मदद नही जबकि वो राज्य की राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में इलाजरत थी कोई एक उससे मिलने नहीं गया और ना सही इलाज मुहैया कराया गया।और इतना ही नहीं आए दिन झारखंड की लड़कियों की खबर सुनने को मिलते रहती है।
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